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आज हिंदी दिवस है और आज मै हिंदी में पहली बार ब्लॉग्गिंग करने जा रही हूँ ………………………….. वैसे हम हिंदी दिवस क्यों मनाते है ये मुझे आज तक समझ में नहीं आया क्योंकि अभी तक तो उन्ही लोगो के नाम पर दिवस मनाते आये है जो इस दुनिया से विदा हो चुके है जैसे हमारे कई आदरणीय महापुरुष ………तो क्या ये मानना चाहिए की हिंदी भी हमारी दुनिया से विदा हो चुकी है जो हिंदी दिवस मनाने की जरुरत आ पड़ी …………वैसे कई मायनों में ये सच भी है अगेर हम अपने आस-पास के परिदृश्य में देखे तो हिंदी की महत्ता हमारे जीवन से ख़त्म होती जा रही है , आज अगर मै नज़रे उठा कर देखू तो मुझे एक भी हिंदी माध्यम का विद्यालय नहीं दिखाई देता है और जो एक दो है भी वो सरकारी श्रेणी में आते है और उन विद्यालयों की क्या दशा है ये तो हमें रोज़ अखबारों के माध्यम से मिल ही जाती है उसमे कोई भी जो थोडा बहुत भी अच्छा कमा लेता होगा वो शायद ही अपने बच्चे को उन पाठशालाओं में पढने भेजे , मुझे याद है जब मै पढ़ा करती थी तब सरस्वती विद्या मंदिर नाम के विद्यालय हुआ करते थे मैंने अपनी ७-८ क्लास की पढ़ाई भी वहीँ से की थी और बहूत अछे विद्यालय हुआ करते थे अनुशासन भी गजब का था और बहुत लम्बी चौड़ी प्राथना होती थी कम-से-कम ४५ मिनट की तो होती ही थी उसके बाद लंच करने से पहले भोजन मंत्र और छुट्टी होने से पहले विसर्जन मंत्र और बसंत पंचमी के दिन सरस्वती जी की पूजा की जाती थी और हाँ रक्षाबंधन भी मनाया जाता था ये बात और है की अब के विद्यालयों में तो बच्चे रक्षाबंधन के १ दिन पहले और १ दिन बाद तक भी छुट्टी मनाते है की कहीं कोई राखी न बाँध दे और कोई राखी न बंधवा न आ जाए इसे ही कहते है समय बदल रहा है अरे हाँ मै विषय से भटक रही हूँ हम तो हिंदी दिवस मानाने के बारे में बात कर रहे थे………आजकल नौकरी पाने की भी एक अदद आवश्यकता अंग्रेजी का ज्ञान रखना भी है फिर वो चाहे कोई भी फ़ील्ड हो ……अजीब है हम नौकरी यही करने वाले है अपने भारतवर्ष में और अपने भारतीय लोगो के बीच में ही पर फिर भी अंग्रेजी का ज्ञान क्यों आवश्यक है मुझे आज तक समझ में नहीं आय बी.पी ओ. की बात और है बड़ी बड़ी कंपनी जिनमे काम करने वालो को विदेश जाना पड़ता है या विदेशियों से मिलना पडता है लेकिन आजकल तो हर जॉब की पहली प्राथमिकता अंग्रेजी का ज्ञान ही है बिचारे हम हिंदी माध्यम के पढ़े हुए लोग जिन्हें अंग्रेजी नाम की बला समझ में आती है लिख भी लेते है बस बोलने में कचे होने के कारण घर बैठे है वाह रे हमारा भारतवर्ष ….. खैर ये हमारे भारतीयों की सोच का ही परिणाम है की जो भी कोई अंग्रेजी में बहुत अछे से गिटर-पीटर कर लेता है हम उसे विद्वावान और हिंदी भाषी को बेवकूफ समझ लेते है आजकल जितने अछे कॉलेज -विद्यालय है वो सारे अंग्रेजी माध्यम के ही है और सारे बड़ी बड़ी अच्छी कंपनी भी अंग्रेजी का ज्ञान रखने वालो को ही नौकरी ही दे रही है ………..ये सब देखकर मुझे समझ में आ रहा है की क्यों कर हमें हिंदी दिवस मनाने की जरुरत आन पड़ी है क्योंकि हमारे बीच में से हिंदी भी विदा हो रही है ……………………… पर क्या सच में ऐसा हो जाएगा ……..हो भी सकता है आज कल के बच्चे आपसे पूछते हुए मिल जाएंगे की ग्यारह को इंग्लिश में क्या कहते है या फिर फूल मतलब बेवकूफ हुआ न ………खैर चाहे जो हो हमारी टी.वी ने हिंदी को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी है सारे हिंदी प्रोग्राम आते है और बिचारे कई अंग्रेजी माध्यम और विदेशो के बड़े स्कूलों में पड़े हुए लोगो को हिंदी में अपने संवाद रटते है …अब क्या करे…… प्रशिद्धि किसे बुरी लगती है ………ये तो तय है की हिंदी पूरी तरह से हमारे समाज से ग़ुम तो नहीं हो सकती और इसकी कितनी महत्ता है ये भी बहुत बड़ी बहस का विषय है ……..और हमारे जैसे कई सारे लोग अपने आस पास हिंदी का ज्ञान तो बिखेरते ही रहेंगे ………………….तो बधाई हो सभी हिंदी ब्लोग्गेर्स को आज हिंदी दिवस है ………….. हमारी प्यारी बोलचाल की भाषा का बर्थडे है ……….
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