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पिछले हफ्ते समाचार चैनलों ने राष्ट्रमंडल खेलो से कुछ ब्रेक लेकर एक दूसरी खबर दिखाई …….. कुछ महात्माओं पर स्टिंग ऑपरेशन किया गा था …. वैसे तो मै ज्यादा महात्माओं को जानती नहीं हूँ धार्मिक चैनलों से मै कुछ दूर ही रहती हूँ ……. पर यह खबर देखकर मन बड़ा प्रशन्न हुआ की चलो शायेद कुछ लोगो का भ्रम टूटे …….. जो इन महात्माओं की अंधी श्रद्धा में डूबे है शायेद उनकी आँखों से पर्दा हटे……………. पता नहीं कैसे लोग इन महात्माओं के जाल में फँस जाते है …………… एक तो सबसे बड़ी बात इन महात्माओं ने जो फैला रेखी है की बिना गुरु मंत्र लिए आप का कोई दान पुण्य मना नहीं जाएगा सब व्यर्थ है और इश्वर तक पहुँचने का रास्ता गुरु मन्त्र लेने के बाद ही मिलता है ……………. अगेर ऐसा सच में है तो सबसे पहले वो सारे गुरु ही इश्वर से मिल कर क्यों नहीं आ जाते ……….और धन्य हो जाते ……………… पता नहीं क्यों इतनी सी बात सबकी समझ में नहीं आती ……….. इश्वर आपके मन में है कण कण में है फिर लोग कहाँ और किसका सहारा लेकर लोग उसे ढूंढने निकल पड़ते है ……… ये सब एक भ्रम जाल है जो इन तथाकथित महात्माओं ने फैला रखा है ………………. लोगो का काला धन सफ़ेद करते हुए पकडे गए ये महात्मा न जाने कितने बहाने देते हुए दिख रहे थे……….. हमारे नेतागण जब ऐसे किसी स्टिंग ऑपरेशन में फंसते है तो वो सारा ठीकरा दूसरी पार्टी पर फोड़ देते है कहते है की ये विपछ की साजिश है अब ये पूजनीय महात्मा संत क्या कहे …………………. लोगो को अपने प्रवचन में न जाने कितने सदमार्ग पर चलने के उपदेश देते है लेकिन जब स्वयं की बात आती है तो इनमे से कितने होंगे जो सच में सदमार्गी होंगे …………….. मुझे आज तक ये सत्संग प्रवचन समझ में ही नहीं आये ………….शादी के बाद सासू माँ के जबर्दस्ती ले जाने पर मै एक सत्संग में गई थी पर वहाँ जाने पर मुझे इतनी अच्छी नींद आई की पूछिए मत मैंने बड़ी कोशिश की ध्यान लगाने की आखिर बोल क्या रहे है पर सब सर से ऊपर ……… इसलिए सो ही गई सासुमा तो मेरे आगे बैठी थी इसलिए उन्हें पता ही नहीं चला की उनकी बहुरानी तो इतना बड़ा पाप कर रही है…….. असल में उनका कहना है की सत्संग में जो जाए और जाकर सो जाए उससे बड़ा कोई पापी नहीं …… लेकिन मैंने तो ऐसे पाप कई बार किए फिर जब उन्हें मेरे सो जाने के बारे में पता चला तो अब ले जाना ही बंद कर दिया ….चालू जान छुटी….. एक बार एक सत्संग में पालथी किए हुए पाँव दर्द करने लगे तो मैंने सोचा थोड़ा फैला लिया जाए मेरे पाँव फैलाने की देर ही थी की आस पास बैठी सारी औरते मुझे यूँ घूरने लगी और एक ने तो मुझे टोक ही दिया की सामने भगवान् बैठे है और तुम उन्हें पाँव दिखा रही हो …….. मै चकबका गई फिर मैंने कहा की आपके भगवान् तो सामने बैठे है और मेरे भगवान् तो चारो दिशाओं में है तो मै किस तरफ पाँव न फैलाऊ ………… वो मुझे गुस्से में देखने लगी और मै हंसने लगी….. मुझे ये जान कर आश्चर्य हुआ की इन सारे महात्माओं ने कितना अंदर तक लोगो को अपना गुलाम बना रखा है …… इन महात्माओं के आश्रमों में बाकायदा इनकी आरती होती है जिसमे किसी भगवान् का जिक्र न होते हुए इनका गुणगान होता है और रामायण की तरह इनके नाम पर भी रामायण लिखा गया है …..और ये भी कहते है की इनके नाम के लिखे हुए रामायण के पाठ करने से सारे दुःख दर्द मिट जाते है ……………. पहले पहल तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ और मुझे खुद भी यकीन नहीं होता की एक अच्छी बहु बनने के चक्कर में मैंने ये सब आरतिया की और रामायण भी पढ़े ……. पर अब मेरे सर से ये भुत उतर चूका है …..एक अच्छी बहु बनने का……… सच में कितना बड़ा मायाजाल रचा है इन महात्माओं ने ……. और न जाने कितने लोगो को अपने इस जाल में फाँस रखा है ……… पर हमारी आम जनता जिस तरह नेताओं को पहचान नहीं पाती और हर बार गलत लोगो को जिताती रहती है उसी तरह ये आम जनता इन ढोंगी बाबाओ को भी नहीं पहचान पाती है………. ये सारे महात्माओं ने अपने अपन नाम से कई स्कूल खोल रखे है अपने नाम से आयुर्वेदिक दवाइआ निकालते है ………….साबुन शेम्पू च्वनप्राश और न जाने क्या क्या ……… इन तरीको से भी जब पैसे कम पड़ते है अपने नाम से आश्रम खोल लेते है ………….वहा न जाने कितना दान चदावा आता है ………… फिर भी इन संतो को पैसे कम पड़ जाते है ….. और गलत तरीको से कमाने की कोशिश करते है ……………….. अरे हाँ धार्मिक चैनलों में आकर प्रवचन देने के भी तो ये अच्छी खासी रकम लेते है …… और इन प्रवचनों में होता क्या है बेटे बहू की बुराई आजकल के समय की बुराई
बस यही होता है ……… क्योंकि इन्हें सुनने आने वाली ज्यादातर जनता में बूढ़े-बुजुर्ग लोग ही होते है जो अपने बेटे बहु से नाखुश होते है उन्हें ये सब सुनकर आनंद ही होता है ……………… आजकल प्रवचन और सत्संग करना भी एक धंधा बन गया है …………… वैसे सत्संग और प्रवचन करना कोई बुराई नहीं है पर जब इन महात्माओं की करतूतों को देखती और सुनती हो तो मन दुखी हो उठता है ……………. और वो भी इतने बड़े बड़े महात्माओं के नाम सुधांशु महाराज और आशा राम बापू जी के नाम सुन कर मन में सवाल उठना स्वाभाविक भी है ….. की क्यों इतने बड़े महात्मा होते हुए भी ये लोग धन के मोह-जाल से अपने आप को दूर नहीं रख पाते है ……… आखिर क्यों………… ???
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