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आखिर फैसला टल गया………

priyanka
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इतने दिनों से अयोध्या-अयोध्या सुनते सुनते कान पक गए और आखिर में क्या हुआ फैसला टल गया ……….. सबकी उत्सुकता पर एक प्रश्नचिन्ह छोड़ कर सर्वोच्च न्यायलय ने फैसले को टाल ही दिया …………….. कितनी अफरा-तफरी मच गई थी सबकी ज़िन्दगी में इस २४ तारीख के लिए ….. मैंने अपने दादा भाभी जो गुडगाँव में रहते है उनसे छुट्टी लेने को कह दिया था ठीक इसी तरह जिन जिन लोगो के बच्चे दुसरे शहरो में पढ़ते है वो सब लोग अपने अपने बच्चो को अपने पास बुलाने लगे थे ……. और सब लोग किसी न किसी तरह घर पर ही रहने का विचार बना रहे थे ………. पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त जवान बुला लिए थे , धारा १४४ लगाई जारही थी …… और हाँ फ़ोन कंपनी वालो ने sms और mms भेजने पर रोक लगा दी थी ……….. समाचार चैनलों ने न जाने कितनी विशेष रिपोर्ट अयोध्या के उपर दिखा डाली थी …… इतना सब कुछ हो गया और हुआ क्या ….. आखिर में फैसला टल गया …………………… मेरी छोटी बहन जो डैडी के दिन रात अयोध्या के ऊपर आ रही न्यूज़ देखने के कारण टी. वी. नही देख पा रही थी इससे परेशान होकर कहा की इससे अच्छा तो न तो वहाँ मंदिर बनाए न मस्जिद वहाँ शौपिंग माल बनवा दे ……….. वैसे इसे करने में कोई बुराई भी नही है …… मेरा तो कहना है की दोनों ही बनवा दे मंदिर भी मस्जिद भी ……….. मंदिर की घंटियो की आवाज़ और मस्जिद की अज़ान दोनों साथ ही गुजेंगी …………अयोध्या के लोगो के साथ पुरे देश के लोगो का जीवन धन्य हो जाएगा…………. कौन जाने भूतकाल में वहाँ सच में क्या था और चाहे जो भी रहा हो उस एक ईंट-पत्थरों की इमारत के लिए हिन्दू-मुस्लिमो की फिर एक नयी लड़ाई शुरू हो जाएगी ………. वैसे ही इतने आतंकी हमले , ट्रेन हादसे, कम है जो एक और दंगा शुरू हो जाए मुझे याद है जब ये आडवाणी जी का कार रैली वाली घटना हुई थी तब हम लोग भोपाल में थे और मेरे ६ वी के अर्धवार्षिक परीक्षा होने वाली थी जो इन दंगो के कारण नहीं हुई थी तब मै खुश हुई थी की जो भी हो रह है अच्छा हो रह है मै परीक्षा से बच गई …… पर जैसे जैसे अपने अपने आस-पास का माहोल देखा लोगो की बाते सुनी वैसे मुझे ये अहसास हुआ की नहीं कुछ अच्छा नहीं हो रह है ……………. छत पर हमारी कालोनी वालो ने पत्थर इक्कठे कर लिए थे की अगर कोई उपद्रवी आये तो उनपर पत्थर से हमला करेंगे …..सबने अपने अपने घर में डंडे लाठी भी खोज कर सामने रख लिए थे मम्मी लोगो ने मिर्च और काली मिर्च की बोतले संभाल ली थी ……….. सब अपनी अपनी तरफ से कोशिश में थे की उन्हें कुछ न हो ……. और भगवान् का शुक्रे है की हम जहां रहते थे सुभाष नगर में वहाँ कुछ नहीं हुआ ………. पर हाँ सब बहूत डरे हुए थे ……………. हमारी कालोनी जिसमे दिन भर चहल पहल होती रहती थी …. वो बिलकुल सुनसान हो गई थी सब कोई अपने अपने घरो में दुबक गए थे …… शाम का धुंधलका छाते ही सबके दिलो में दहशत छा जाती थी…… दूर किसी धमाके की आवाज़ सुनकर सब सन्न रह जाते थे …….. हमारे घरो के पीछे थोड़ी दूर पर गाडिओ की मरम्मत करने वालो की एक लाइन से कई दुकाने थी जो एक दिन शाम को एक धमाके से धू धू कर जला दी गई थी …..एक दूकान के जलते ही सब दुकाने जल कर खाक हो गई …. दंगो के नाम पर मैंने यही होते देखा था …….पर सुना बहूत कुछ…………….. पर वो सब रहने ही दे सुनी सुनाई बातो के बारे में क्या लिखना ………और वो भी वो बाते जिसे पढ़ कर और लिख कर मन दुखी हो …….. और अब फिर से अयोध्या का नाम प्रकाश में आ गया है………….. मन डर रहा है ….चाहे कोई भी फैसला हो चाहे हिन्दुओ की जीत हो या मुसलमानों की एक बात तो तय है इंसानियत की हार ही होगी………. मार-काट खून-खराबा वो भी मंदिर मस्जिद का नाम पर ………… धर्म के नाम पर कैसे लोग हिंसक हो जाते है ……….. धर्म तो इश्वर तक पहुँचने का रास्ता है न की हिंसा पर चलने का ……………..खैर मै ज्यादा ज्ञानी तो नही हूँ लेकिन हाँ इतना है की बस ये चाहती हूंकि ये फैसला यूँ ही टलते रहे वैसे भी न जाने कितने केस कोर्ट में लंबित पड़े है ………लेकिन ये पहला ऐसा केस होगा जिसके लंबित रहने से किसीका कुछ नही बिगेड़ेगा और इंसानियत की जीत होगी………………………..तो हमारे कानून के बड़े बड़े विचारक यूँ ही विचार करते रहे और फैसला यूँ ही टालते रहे ………………………….

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