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आज एक बड़ी मज़ेदार घटना घटी …… विस्तार से बताती हूँ ………….. अभी मै कुछ सामान लेने departmental store गई थी सारा सामान लेने के बाद बिलिंग करवाने के लिए खड़ी थी तो मेरे आगे खड़ी औंटी जी ने बिल दिया पर पैसे लेने वाले लड़के ने कह की क्या आपके पास दो रुपये के खुल्ले है तो उन औंटी जी ने कहा की नही है तो उसने कहा की ध्यान से देख लीजिए अगर हो तो ……… उन्होंने फिर से पर्स में हाँथ डाला और अपने पर्स से दो टाफी निकाल कर उसे पकड़ा दी …………वो पैसे लेने वाला लड़का टुकुर टुकुर उन्हें ताकने लगा ……….. तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा की…….. क्यों जब तुम लोगो के पास खुल्ले नही होते है तो तुम लोग भी तो हमे टाफी पकड़ा देते हो तो अब इस बार मेरे पास खुल्ले नही है ………………. अब क्या …… वो बिचारा लड़का झेंप गया और खुल्ले ढूंढने की कोशिश करते हुए कहने लगा की हाँ हाँ क्यों नही मै भी ले सकता हूँ क्यों नही क्यों नही ………….पर उसके हाथ खुल्ले ढूंढते जा रहे थे ……..ये सब देख कर मेरी हंसी फूट पड़ी और मैंने आंटी से कहा की आपने ये ठीक किया ………… ये लोग भी तो हमें कोई भी टाफी पकड़ा देते है चाहे वो टाफी हम खाते हो या न खाते हो …….तो उन आंटी ने कहा की हाँ और ऐसे में पर्स ऐसी ही टाफी से भरा रहता है ……….. इस बातचीत के बीच उस लड़के ने दो रुपये ढूंढ़ हुई लिए …….और उन्हें पकड़ा दिए………. खैर ये सब देख कर मुझे एक लाइन याद आ गई “ये भी खूब रही “………………………..
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