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मेरी दिवाली कुछ यूँ बीती …

priyanka
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पिछला हफ्ता मेरा ही नहीं सभी का व्यस्तताओं वाला रहा होगा ……. दिवाली की तैयारियो की वजह से मै पिछले दो हफ्ते जागरण मंच पर भी अपनी उपस्थिथि नही दर्ज करा पाई …..और इस कारण कई अच्छे लेख और कविताए भी नहीं पढ़ पाई और इसलिए पहली फुर्सत पाते ही लेपटॉप खोल कर बैठ गई और सबके ब्लोग्स पढ़े ……….. सबने दिवाली की शुभकामनाये भी एक दुसरे को दी है एक मै ही चुक गई……..खैर देर से ही सही आप सबको दिवाली की हार्दिक शुभकामनाये और आशा करती हूँ आप सबकी दिवाली अछ्ही बीती होगी …………. सबने दीपो से घर को रोशन किया होगा और पटाखों से किसी को नुक्सान नही पहुंचा होगा ……….. क्योंकि अक्सर दिवाली में बच्चे पटाखे चलाते वक़्त अपने हाथ या पाँव जला लेते है बच्चे ही नही कई बार बड़े भी ………….. हर त्यौहार जाने के बाद एक न एक कहानी अपने पीछे छोड़ जाता है ……………त्यौहार के पहले ढेर सारी तैयारिया होती है और उसके जाने के बाद एक खालीपन और सूनापन होता है जैसे घर से किसी मेहमान के चले जाने के बाद होता है ………….. वैसे मुझे बचपन से ही होली ज्यादा पसंद रही ही और होली का इंतज़ार भी ज्यादा बेसब्री से रहता था दिवाली में ज्यादा ख़ास दिलचस्पी नही रहती थी क्योंकि दिवाली के आने से पहले ढेरो काम हो जाते थे ये साफ़ करो वो साफ़ करो ……..और साफ़-सफाई करने से तो मै कोसो दूर दूर रहा करती थी तब मम्मी डांटा करती थी की नहीं करनी है तो मत करो कम-से-कम खड़े हो कर देख तो लो की चपरासी कर कैसे रहे है पर मै वो भी नहीं कर पाती थी किसी के सर पर खड़े हो कर काम करवाना तो मुझे बिलकुल भी पसंद नही है……..और घर में पुताई शुरू होते ही मुझे सर्दी हो जाती थी ……… बस दिवाली इसलिए ही अच्छी लगती थी क्योंकि इसमें ढेर सारी खरीदारी की जाती थी …………..नए कपडे, नए परदे , नयी दीवारे, ……… और दियो की जगमगाहट ………. दिवाली की सबसे बड़ी खूबसूरती……….चारो और रौशनी टिमटिमाते हुए दिए …………. अगर कोई दिवाली के दिन हवाई-जहाज की यात्रा पर हो तो रात को ऊपर से नीचे का अविस्मरनीय नज़ारा देखने को मिल जाएगा …..जगमगाता हुआ शहर , रोशनी से भीगा हुआ शहर देखने को मिल जाएगा, पर मै ये सोचती हूँ की दिवाली पैसेवालों का त्यौहार है क्योंकि दिवाली में तभी मज़ा आता है जब ढेर सारे पैसे हो पर इस बार हमारी तिजोरी की हालत थोड़ी नाजुक थी इसलिए उतना मज़ा नही आया क्योंकि दिवाली के आधे से अधिक काम तो पैसो के बिना पूरे ही नहीं हो सकते है ……….खैर मै भी दिवाली की छोटी सी खरीदारी करने जैसे ही पास के बिग बाज़ार में गई ……….उफ़ इतनी भीड़ की पूछू मत जैसे तैसे जरुरी सामान लेकर बिल करवाने पहुंची तो देखा इतनी लम्बी लाइन सबकी ट्राली लबालब सामान से भरी हुई………… लगता है दिल्ली में लोग रिश्तेदारों के साथ साथ पूरे मोहल्ल्ले में गिफ्ट बांटते है …… मुझे अपनी ट्राली देख कर अपने आप में ही शर्म आने लगी की इतने कम सामान की कैसे बिल्लिंग करवाऊ ये सब देखकर मन में कुछ कोफ़्त हुई की क्यों हमारी तिजोरी त्यौहार के वक़्त पर बीमार हो गई ………खैर पतिदेव ने खराब मूड को ठीक करने के लिए कहा चलो तुम्हे कुछ खिलाता हूँ बाकि लोगो को मूड जैसे भी ठीक होता हो पर मेंरा मूड हमेशा से हो कुछ अच्छा खाकर प्रशन्न हो जाता है जैसे ही गाडी पास के चाट के ठेले के पास के लिए घुमाई क्या देख की एक मोड़ के पास भीड़ जमा है हमने गाडी धीमी की तो पता चला की मोटर सैकल से एक लड़का गिर गया है हम लोग गए देखने ……….उफ़ लड़के को को तो बहुत चोट आई थी …………वह जमा लोग यही चर्चा कर रहे थे की कैसे गिरा किसी ने ठोकर भी नहीं मारी और अपने आप गिर गया ……….. मैंने कहा धीर से की चलिए पास में ही तो अस्पताल है ले चलते है वहाँ खड़े पान-वाले ने अपने पास मोटर सैकल खड़ी की……..और उस भीड़ में जमा लोगो में से एक ने हमारी गाडी में सहारा देकर उसे बिठाया उसके मोबाईल से उसके घर फोन लगाया उस लड़के को चलिए इतना तो होश था की उसने घर का नंबर बता दिया ………….मैंने धीर से कह तो दिया था की ले चलते है उसे अस्पताल पर भीड़ में लोगो की बाते सुनकर मन में डर भी रही थी की कहीं सच में हम फँस न जाये …………… पर अस्पताल में उसे भर्ती करवाने के थोड़े देर बाद ही उस लड़के के हैरान-परेशान पापा और बहन आ गए ……….और उनके चेहरे पर हमारे लिए धन्यवाद के भाव देखकर मन को बहुत संतोष हुआ………. और हम भी अस्पताल से घर को निकल लिए और पहली बार लगा की दिवाली बिना पैसो की भी कितनी अच्छी हो गयी और मेरा मन भी …………….खैर मेरी दिवाली तो कुछ यूँ बीती आप सबने दिवाली में क्या क्या किया…………… मै जरुर पढ़ना चाहूंगी ………….

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