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अभी से ९ महीने पहले मेरे पास कुछ काम नही था सिवा आराम करने के क्योंकि मै प्यारे से नन्हे मुन्ने को जनम देने वाली थी …..और डाक्टर ने मुझे ज्यादातर आराम करने की सलाह दे रखी थी और उसकी ये सलाह मैंने बड़ी ख़ुशी ख़ुशी मानी थी क्योंकि मुझे आराम करने में बड़ा मज़ा आता है और मै आराम पसंद व्यक्तिओ में गिनी जा सकती हूँ ………. लेकिन आराम भी कुछ दिन ही आराम से किया जा सकता है पूरे ९ महीने तो मुझे भी थोड़ी उकताहट होने लगी थी क्योंकि टी वी पर जितने चैनल आते थे उनके सारे सिरिअल भी देख डाले पर फिर भी समय नही कटता था फिर किसी ने कहा की इस समय सत्संग में मन लगाया करो बच्चे में अछे संस्कार आयेंगे मैंने कहा की नही भाई मुझे कोई संत महात्मा नही पैदा करना पता चले मेरे पास न रहे हिमालय में जाकर बस जाए …… फिर सासुमा माँ ने कहा की रामायण पढ़ा करो बच्चे में अछे गुण आयेंगे लेकिन आप पूरे दिन तो रामायण नही पढ़ सकते है …………… पतिदेव भी जहाज पर चले गए थे मर्चेंट नेवी वाले जो ठहरे तब तक जागरण मंच भी नही मिला था की ब्लॉग ही लिख लेती तब मै अपने दादा(बड़े भैया) के पास गयी और वहाँ रखी ढेर सारी किताबे उठा लायी और उन्हें पढ़ना शुरू किया उनमे ३ किताबे तो चेतन भगत की थी जो आई. आई. टी. के छात्र रह चुके थे इसी तरह और भी कई किताबे जिनके नाम मेरी बहन ने बताये और कहा की ये सारी किताबे नेशनल बेस्ट सेलर रह चुकी है वगौरह वगैरह सब पढ़ी और सब में ये समानता थी की ये सारी किताबे आई. आई. टी. या आई. आई. ऍम . में पढ़े लोगो ने लिखी थी और सब की सब लव स्टोरी थी मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ की इतनी पढ़ाई के बीच भी इन्हें प्यार के बारे में सोचने का समय मिल जाता था और देखो केवल सोचा ही नहीं एक पूरी की पूरी किताब भी छपवा भी डाली …… अच्छा है अभी तक मै यही सोचती थी की जो आई.आई.टी करते होंगे वो जरुर किसी दुसरे गृह के प्राणी होते होंगे और उन्हें पढने के अलावा और कुछ सोचने या करने का समय ही नहीं मिलता होगा पर मेरा ये भ्रम इन लव स्टोरी को पढने के बाद टूट गया …….मेरे लिए ये बहुत ही आश्चर्य की बात रही क्योंकि स्कूल के दौरान मै यही देखती थी की जो पढने में बहोत ही तेज होते थे वो पहली बेंच में बैठते थे टीचर के आगे पीछे डोलते रहते थे और उनके पसंदीदा रहते थे और इन लड़के लडकियों के पास सिर्फ पढ़ाई ही एक काम होता था लड़के लडकियों में दिलचस्पी नही दिखाते थे और न ही लडकिया लडको……………. में उन पढ़ाकू लोगो से बात भी करो तो हमें चिंता दे देते थे की इन लोगो ने तो सब पढ़ डाला सब याद करके रिविसन भी कर लिया और हम अभी तक यही नही जानते की किताब मे पाठ कितने है……….. पर ऐसा नही है ये दुसरे गृह के प्राणीयो के पास दिल नाम की वस्तु होती है और वो धड़कती भी है ये इन किताबो को पढने के बाद साबित हो गया ………… अच्छी बात है प्यार के बारे में सभी को सोचना ही चाहिए तभी हम इंसान बने रह सकते है नही तो आई.आई.टी. और आई.आई ऍम की किताबो को देखने के बाद मै यही सोचती थी की इन्हें एक साथ उठाया कैसे जाए और इन्हें उठा कर कालेज कैसे जाया जाये …………..लेकिन प्यार ने इन किताबो को पढने वालो को इंसान ही बने रहने दिया मशीन बनने से बचा लिया नहीं तो सोचिए हमारे बीच कितने पढ़े-लिखी मशीने होती जिनके दिमाग में बस पढ़ाई ही पढ़ाई और किताबो की रटी रटाई बाते होती ……………….. लेकिन हाँ एक बात इन सब बातो के बीच तो मुझे अभी समझ में आ रही है की मेरे नन्हे मुन्ने ने तो रामायण भी पढ़ी और लव स्टोरी भी सास बहु ड्रामा भी देखा अंग्रेजी फिल्मे भी …. भजन भी सुने और जार्ज माइकल को भी इनमे से उसने किन गुणों को उसने आत्मसात किया होगा और क्या प्रभाव पडा होगा खैर ये तो भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है और मुझे बाद में ही पता चलेगा की बड़े-बूढों की ये बात की ९ महीनो के दौरान जो सोचो और पढो उसका बच्चे पर असर होता है……..तब तक के लिए आप सबको शुभ-रात्रि …
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