priyanka
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प्रकृति की स्निग्धिता
प्रकृति की हरीतिमा
आकाश में डूबते
सूरज की लालिमा
चंहुओर व्याप्त है
प्रकृति की व्यापकता
कर रहा यशोगान
प्रकृति का पत्ता-पत्ता
हमारी हर सांस में
प्रकृति का तेज है
हमारे जीवन में
प्रकृति का ओज है
प्रकृति के आँचल तले
खेत-खलिहान लहलहा रहे
प्रकृति के बांहों में
पुष्प कुसुम कहकहे लगा रहे
प्रकृति जब शांत है
ममतामयी करुणामयी
प्रकृति जब उग्र है तो
रुद्रमयी क्रुद्धमयी
यही प्रकृति का प्रकार है
यही उसका व्यहार है
पर क्या हम गर्व से
कह सकते है की हमें
प्रकृति से प्यार है……………..
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