priyanka
- 36 Posts
- 474 Comments
अंधियारी रात के आँगन में ये, सुबह के कदमो की आहट
ये भीगी भीगी सर्द हवा, ये हलकी हलकी धुंधलाहट
गाडी में हूँ तनहा, यात्रा मगन और नींद नहीं है आँखों में
भूले बिसरे रूमानो के, ख्वाबो की ज़मीं आँखों में
अगले दिन हाथ हिलाते है, पिछली पीतें याद आती है
ख़ोई हुई खुशिया आँखों में, आंसू बनकर लहराती है
सीने के वीरान कोनो में, एक टीस सी करवट लेती है
नाकाम उमंगें रोती है, उम्मीद सहारे देती है
वो राहे ज़हन में घूमती है, जिन राहो से मै आज आया हूँ
कितनी उम्मीद से पहुंचा था कितनी मायूसी लाया हूँ ….
Read Comments