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“एक वाकया”

priyanka
priyanka
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साहिर जी की एक ग़ज़ल आप सबके लिए…………… कालेज के दिनों में नोट की थी अपनी डायरी में ……..नोट करते वक्त उर्दू के शब्दों को मैंने हिंदी के समझ आने वाले शब्दों में नोट किया था इसलिए जिन्होंने साहिरजी को पढ़ा होगा उन्हें कुछ अलग ग़ज़ल लगेगी……………


अंधियारी रात के आँगन में ये, सुबह के कदमो की आहट


ये भीगी भीगी सर्द हवा, ये हलकी हलकी धुंधलाहट


गाडी में हूँ तनहा, यात्रा मगन और नींद नहीं है आँखों में


भूले बिसरे रूमानो के, ख्वाबो की ज़मीं आँखों में


अगले दिन हाथ हिलाते है, पिछली पीतें याद आती है


ख़ोई हुई खुशिया आँखों में, आंसू बनकर लहराती है


सीने के वीरान कोनो में, एक टीस सी करवट लेती है


नाकाम उमंगें रोती है, उम्मीद सहारे देती है


वो राहे ज़हन में घूमती है, जिन राहो से मै आज आया हूँ


कितनी उम्मीद से पहुंचा था कितनी मायूसी लाया हूँ ….

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