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………..ज़िन्दगी के बारे में जब भी सोचती हूँ कुछ अजीब से ही अहसास होते है ……..हम कितना कुछ करना चाहते है अपने जीवन में ……पर कई बार सिर्फ वो सब हमारी सोच तक ही सिमित रह जाता है …….जीवन के हर पड़ाव पर हमारी सोच ज़िन्दगी के बारे में कितनी अलग होती है ……जब हम बच्चे होते है तब हमारा इस भारी भरकम शब्द से कोई वास्ता नहीं होता ……हम निष्फिक्र होकर बस अपनी ही उड़ान में उड़ते रहते है खेलना स्कूल जाना सहेलियों से मिलना कोई त्यौहार आये और नए कपडे मिल जाये तो बस उसी में खुश हो जाना ……..लेकिन जीवन हमेशा यूँ बचपन सा खुशनुमा तो नही रहता धीरे धीरे समय बीतने के साथ साथ जैसे मौसम के मिजाज़ बदलते है वैसे ही हमारी ज़िन्दगी भी बदलती है कभी तो वो जीवन बसंत सा खिल जाता है तो कभी कुछ ऐसा होता है की उसमे सुनामी आ जाती है इसी तरह समय हमारे जीवन से खेलता रहता है …….कभी कभी सोचती हूँ तो लगता है की हम सिवा एक कठपुतली के कुछ नही हमारी डोर के हाथ बदलते रहते है लेकिन सिर्फ हाथ ही बदलते है बाकी उसे चलाते सब अपनी इच्छा से है कठपुतली की भी भला क्या इच्छा अनिच्छा …..वो तो काठ की पुतली होती है ………जीवन के खेल निराले होते है और इसे जीना बड़ा मुश्किल काम होता है ………जीवन के हर पड़ाव पर जो मौसम बदलते है उनके साथ अपने आपको बदलना कितना मुश्किल होता है ….कुछ लोग आसानी से समय की धार के साथ बहते चले जाते है वो जीवन रूपी नदी में अपने आपको उन्मुक्त बहने के लीये स्वतन्त्र छोड़ देते है उनका जीवन आसान हो जाता है …….लेकिन जो लोग जीवन के हर मौसम को स्वीकार नही पाते उनका जीवन मुश्किलों से भर जाता है स्वयं के लिए भी और दुसरो के लिए भी ……लेकिन वो लोग करे क्या हर किसी के लिए यूँ आसान नही होता जीवन के हर पहलु को स्वीकार पाना …………उन्हें तो अपना जीवन वैसा ही चाहिए होता है जैसा किसी तूफ़ान के पहले था ………लेकिन ज़िन्दगी उनके पास पहले सी कहां लौट कर आती है वो तो अपनी गति से चलती ही रहती है न ही किसी के लिए रूकती है और न ही पीछे लौटती है …… हम बस अपने मन में अपने उस बसंती जीवन की यादो को याद कर पाते है और उन्ही यादो में जीकर अपने आपको खुश कर लेते है ………लेकिन तब भी वो जीवन क्या उतना खुश और सुकून देने वाला हो पता है ……वो बस एक काम बन कर रह जाता है …..एक ऐसा काम जिसे करने के सिवा और कोई राह नज़र ही नही आती हम अपनी ज़िन्दगी के सफ़र पर चलते ही रहते है उस तूफ़ान के आने के बाद भी अपनी ज़िन्दगी के कई कडवी यादो को समेटे हुए…….अपनी ज़िन्दगी के बारे में हमे कई खुशफहमिया भी होती है की हमारे बिना कई लोगो का जीवन दुखी हो जाए गा पर कहीं अंतर्मन में हम ये जानते है की ये सिवा एक भ्रम के और कुछ भी नही है …….हम भी तो ऐसा ही सोचते थे और कई लोगो के बारे में की यदि ये हमारे जीवन से चला गया तो हम क्या करेंगे हमारा जीवन तितर बितर हो जाये गा और फिर एक दिन ऐसा आता है की सच में वो हमारे जीवन से चला जाता है और उसके जाने के बाद भी हमारा जीवन चलता रहता है वो जीवन जिसके बारे में हम उसके बिना कल्पना भी नही कर सकते थे वो यूँ चलता रहता है………….. पर कहीं न कहीं वो एक कमी तो रह जाती है और जीवन के हर छोटे बड़े अवसर पर वो कमी हमे खलती है हम ऊपर से तो अपने आपको संभाल लेते है पर क्या हम अपने अंतस मन को संभाल पाते है वो तो वैसा ही सब कुछ चाहता है जैसा जीवन उनके साथ था …………..पर हमारी चाह हमारी इच्छा का क्या मोल है ……………..और धीरे धीरे हम अपनी यादो से ही खेलने लगते है हमारे जीवन पर इस समय पर हमारा कोई बस नही होता है लेकिन हमारे मन में तो हमारा ही राज है अपने मन में हम उसे अपने पास ही रखते है और जीवन के हर छोटे बड़े पल पर सोचते रहते है की आज आप होते तो ऐसा हुआ होता …….और इस तरह अपने मन में हम जीवन से खेलने लग जाते है ….लुका छिपी का खेल …….क्या हुआ जो हमारे जीवन में तुमने उसे छिपा दिया अपने मन में हमने उसे छुपा लिया ………….हमारे मन से उसे कैसे ले जाओगे …………..और फिर अपनी इस झूठी जीत पर कितना खुश होते है ……..लेकिन ये जीवन चाहे जैसा भी हो हम जिंदगी के इस सफ़र पर चलते ही रहते है ……..और धीरे धीरे ये ज़िन्दगी कट ही जाती है …………………………
……………………………….बहुत दिनों बाद आप सबसे मिल रही हूँ, शुभ संध्या………………..
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