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गर्मी तो बढ़ ही गयी है और आज सुबह पेट्रोल का दाम देख कर गर्मी का अहसाह कुछ ज्यादा ही बढ़ गया ………….महंगाई आसमान छु रही है जब तक शादी नही हुई थी तब तक किसी भी चीज़ के दाम बढ़ने से कोई फर्क नहीं पड़ा ……….वैसे शादी के कुछ सालो तक भी नहीं पड़ा था ……..लेकिन अब जैसे ही किसी चीज़ के दाम बढ़ते है दिमाग अपना हिसाब किताब लगान शुरू कर देता है पर पढ़ाई के दिनों से ही मेरी गणित कमज़ोर ही रही है भला हो मोबाइल वालो का ……………. अब मोबाइल हाथ में हो तो कैलकुलेटर ढूंढने की भी जरुरत नहीं पड़ती …….. शादी होने से हिसाब किताब करने की मुसीबत बढ़ी तो माँ बनने के बाद दूसरी मुश्किल आन खड़ी हुई ……..आप सोच रहे होंगे बच्चे संभालने की मुश्किल तो ऐसी कोई बात नहीं है वो तो हर औरत माँ बनते ही अपनी समझ से सीख ही जाती है ये दूसरी मुश्किल है वजन घटाने की मुश्किल ……………. वजन इतना बढ़ जाता है की आप अपने आपको ही पहचान नहीं पाते ही जब भी शीशे के सामने खड़े हो तो लगता है की चेहरा तो अपना ही है पर ……….बाकि कुछ भी अपना अपना सा नहीं लगता …….शुरू शुरू में मारे ख़ुशी के ध्यान ही नहीं गया इस ओर पूरा का पूरा ध्यान बच्चे पर रहता है ……….फिर वो स्वादिष्ट सोंठ के लड्डू, और ढेर सारा घी, मलाई वाला दूध, मेवे सब प्यार से खिलाते जाते है और हम खाते जाते है ………….और थोड़े दिनों बाद हम भी उन्ही लड्दुओ की तरह हो जाते है ……………. मुझे इसका अहसास जब हुआ जब अपने नन्हे मुन्ने को लेकर पार्क में गयी और वहाँ खेल रहे बच्चे ने कहा आंटी बाल दो न ……….. और ये शब्द यूँ गुंजा कान में की पूछिए मत ……..आंटी आंटी आंटी ………… कान ही झनझना गए …………….अभी कुछ सालो तक तो मै खुद ही लोगो को आंटी कहा करती थी और आज मै खुद आंटी बन गयी …………. उफ़ बड़ी परेशानी ………….वैसे कम परेशानी थी ज़िन्दगी में ………………… की अब एक नयी समस्या मोटापे की समस्या…………. पतिदेव भी कहाँ पीछे रहते उन्होंने भी कुछ नए नाम रख दिए मुझे प्यार से पुकारने के लिए ……………..और अभी एक दिन क्या हुआ वो सुनिए………. मै यहाँ अपने मायके आई हुई हूँ ……………. डैडी जज है तो उनसे मिलने सिविल जज आये अपनी पत्नी के साथ तो मै भी बाहर निकली उनके साथ मेरे नन्हे मुन्ने की उम्र का बच्चा भी था दोनों खेलने लगे और मै उनकी पत्नी से बाते करनी लगी बाते करते हुए ये लग तो रहा था की उसे पहले कहीं देखा है पर याद नहीं आ रहा था फिर बातो बातो में पता चला की वो ग्वालीअर की रहने वाली है तो मैंने बताया की हम भी वहाँ रह चुके है मैंने अपनी ९, १० ११ की पढ़ाई वही से की है तो उसने पुछा किस स्कूल से तो मैंने बताया मिस हिल स्कूल से तो उसने कहा की अरे वो भी वहीँ की पढ़ी हुई है फिर क्या हमने स्कूल की वहां के टीचर्स की ढेर सारी बाते की और फिर थोड़े देर बाद वो चले गए …………… अगले दिन उसका फोन आया तो वो कहती है की अरे तुम वही प्रियंका हो न जो स्कूल के पास की कालोनी में रहती थी और तीन साल बाद पापा के ट्रांसफर होने की वजह से स्कूल छोड़ कर चली गयी थी तो मैंने कहा हाँ वही हूँ …………तब वो कहती है बेवकूफ हम एक ही क्लास में साथ साथ पढ़ते थे और देखो हमने मिलने पर भी एक दुसरे को पहचाना नहीं ……………….कहती है मन में तो लग रहा था की तुम्हे कहीं देखा है पर याद नहीं आ रहा था मैंने कहा मन में तो मुझे भी लग रहा था पर पहचानते कैसे अपने बच्चे की अम्मा और दुसरे बच्चो की आंटी बनने के बाद चेहरे और कद-काठी में इतना अंतर जो आ गया है ………………. इतना हँसे हम फोन पर.. …………हम दोनों ही एक दुसरे को मिलने पर पहचान नहीं पाए ………………….स्कूल के दिनों में हम जब कभी घर या मम्मियो की बाते करते थे तो यही कहा करते थे की मम्मी लोगो को तो कोई काम नहीं है बस पड़ोस की आंटी के साथ यही बाते करती है की आज रात के खाने में क्या बनाना है तो सुबह के नाश्ते में क्या बनाना है सब्जियों के दाम कितने बढ़ गए है ………या फिर आजकल के बच्चे कितने बदमाश होगये है , पतियों का गुस्सा वगैरह नहीं तो टी.वी सिरिअल की बाते …………..ये सब बाते करते हुए हम यही कहते थे की कितनी बोरिंग बाते करती है न ये आंटिया हम तो ऐसी बाते कभी नहीं करेंगे और आज देखो हमारी बातो में भी घूम फिर कर यही सारी बाते रहती है ………………..पता ही नहीं चला कब हम कब खुद आंटी बन गए ……………… पर तब ज्यादा कोफ़्त होती है जब आंटी कहने वाला खुद मेरे चाचा की उम्र का रहता है तब मन करता है की जोर से चिल्ला कर कहू की….. ..आंटी मत कहो ना अंकल…………..ओह लिखना यही बंद करना पडेगा क्योंकि मेरे नन्हे मुन्ने ने क्रीम की बोतल पूरी अपनी हाथ में उड़ेल ली है …………..इसकी बदमाशियों के बारे में भी एक दिन फुरसत से जरुर कुछ लिखूंगी …………….अभी के लिए शुभ रात्रि……………
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